Monika garg

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लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज# तुम लौट आओ ना

आज पवित्रा की शादी की आठवीं सालगिरह थी सुशांत ने इस अवसर पर परिवार के लोगों को इस खुशी में शामिल होने के लिए घर पर आमंत्रित किया था ।

शाम ढलते ही मेहमान आने लगें,वे दोनों बहुत खुश थें, पर इस खुशी के अवसर पर भी पवित्रा का मन उदास था क्योंकि शादी के आठ साल बाद भी उसके कोई संतान नहीं थी,जाने कितनी मन्नतें मांगी भगवान से कि वो उसकी गोद भर दें, कई डॉक्टर को भी दिखाया पर सब कुछ ठीक होते हुए भी आज तक उसकी गोद खाली ही थी। वहअपनी उदासी को मुस्कुराहट के पीछे छिपाए मेहमान के स्वागत में लगी हुई थी।

खाने का समय हो चला था वह खाना सर्व कर रही थी तभी अचानक उसे चक्कर आया और वह बेहोश हो गई; सब घबरा गए, सुशांत ने तुरंत ही डॉक्टर को फोन करके घर पर बुलाया, डॉक्टर ने जांच की और फिर उन्होंने जो कहा उसे सुनकर पवित्रा को ऐसा लगा जैसे सालों से बंजर पड़ी जमीन पर मानो अचानक ही फसल लहलहा उठी हो,डॉक्टर ने कहा कि वो "मां" बनने वाली हूं, जिस खबर को सुनने के लिए वह रात दिन तड़पती थी आज उस खबर को सुनते ही वह  रोने लगी, आज उसे एहसास हुआ कि आंसू सिर्फ तकलीफ में ही आंखों से नहीं बहते, कई बार हद से ज्यादा खुशी भी आंखों से आंसू बन बहने लगती है क्योंकि सुख या दुख को व्यक्त करने के लिए अक्सर शब्द मौन हो जाते हैं, लेकिन आंखों नेे कहां मौन होना सीखा है!
उसकी शादी की ये सालगिरह उसके जीवन की एक यादगार सालगिरह बन गई,सभी उन्हें बधाइयां देने लगें,सुशांत जो हमेशा अपने पिता बनने की चाहत को मनमे छिपाए रखता था वो इस वक्त बहुत खुश था ।

आखिर वो दिन भी आया जब पवित्रा की खुशी उसकी गोद में थी; भगवान ने उसे एक बहुत ही प्यारा सा बेटा दिया, वह अपने बेटे को अपनी गोद में देख खुशी से रोते हुए उसे चूमने लगी,

तभी सुशांत कमरे में आए, उनके साथ डॉक्टर भी थें,डॉक्टर ने पवित्रा से  बच्चे को लिया और उसको चेक करने लगे, उसने देखा कि सुशांत परेशान से लग रहे थें, वह कुछ समझ नहीं पा रही थी कि बात क्या है!तभी डॉक्टर ने उसे  मेरे बच्चे को वापस पकड़ाते हुए कहा कि;मैं श्योर हूं "आपका बच्चा देख नहीं सकता है"!ये सुनकर वह एकदम सुन्न हो गई! उसे कुछ समझ ही नहीं आया कि डॉक्टर ये क्या कह रहे हैं? उसका बच्चा तो बिल्कुल ठीक ठाक है लेकिन सुशांत थोड़ा उदास थे।, थोड़ी ही देर में डॉक्टर वहां से चले गए ।

वह सुशांत की ओर देखते हुए उससे पूछने लगी ,ये डॉक्टर क्या कह रहे थें?मेरा बच्चा देख नहीं सकता?लेकिन ये तो बिल्कुल ठीक है! आप इसकी आंखे देखिए सुशांत कितनी सुंदर हैं ; फिर ये कैसे हो सकता है, कि मेरा बच्चा देख नहीं सकता!जरूर डॉक्टर को कोई गलतफहमी हुई होगी, सुशांत उसके पास आएं और बच्चे को अपनी गोद में उठा कर रोने लगे; और बोले कि"पवित्रा डॉक्टर सही कह रहे थें हमारा बच्चा कभी भी देख नहीं सकता"सुशांत की बात सुनकर पवित्रा को ऐसा लगा मानो उसके कान में किसी ने पिघला शीशा डाल दिया हो!उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि वह अपनी सालों की कमी अपने बेटे को पाने की खुशी में खुश होये या उसकी आंखों की रोशनी के ना होने पर रोये! वह कुछ देर यूं ही एकटक अपने बेटे को देखे जा रही थी, वो उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा लग रहा था, उसके निश्छल मासूम चेहरे को देख उसका कलेजा फटा जा रहा था, उसने तुरंत ही उसे अपने सीने से लगा लिया और रोने लगी सुशांत उसे चुप कराते हुए बोले कि "रो मत पवित्रा"भगवान ने हमें औलाद का सुख तो दिया ना, हमारा बच्चा उन्हीं का आशीर्वाद है देखना सब ठीक हो जाएगा, सुशांत ने उसे हिम्मत दिलाई और कुछ ही देर में वह भी सामान्य हो गई, उसे भी लगा कि सच ही तो है कि भगवान के आशीर्वाद से उसे मां बनने का सौभाग्य तो मिला है।

पवित्रा नेअपने बच्चे का नाम "अंश" रखा"उन दोनों का अंश", उसने अपने जिंदगी का लक्ष्य बनाया कि वह अपने "अंश" को कभी भी किसी पर आश्रित नहीं होने देगी, और न ही उसकी कमी को उसकी कमजोरी बनने देगी।

वह अंश की हर छोटी बड़ी जरूरत का पूरा ध्यान रखती, 

अंश के चार साल के हो जाने पर उन्होंने उसका दाखिला एक ब्लाइंड स्कूल में करवाया।लेकिन आगे का सफर उनके लिए और  अंश के लिए आसान नहीं था।

कई बार अंश के पूछे सवाल उसे अंदर तक तोड़ जाते थे पर वह बड़ी हिम्मत से बिना टूटे बिना रोए उसके सारे सवालों का जवाब देती, जब भी वो उससे पूछता कि, मां मुझे हर चीज काली ही क्यों दिखती है? आवाजें तो सुनता हूं पर कोई दिखता क्यों नहीं? आप भी मुझे नहीं दिखती पापा भी मुझे नहीं दिखते क्या आप लोगों को भी मैं नहीं दिखता हूं? क्या हर चीज काली ही है?ऐसे अनगिनत सवाल जिसका जवाब देते हुए उसकी आत्मा रो देती ।
समय निर्बाध गति से बढ़ता गया...
अंश अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था और पवित्रा के कहने पर उसने शिक्षक के पद पर आवेदन किया था; हालांकि अंश का मन नहीं था फॉर्म भरने का क्योंकि अंश जॉब नहीं करना चाहता था, वो कहता कि वो ऐसे किसी जगह नहीं जाएगा जहां उसकी मां उसके साथ ना  हो पर वह अंश को अब बिना अपने सहारे के आगे बढ़ते हुए देखना चाहती थी, वह उसे अक्सर समझाती कि अब उसे खुद को खुद से ही संभालना पड़ेगा,वह हर वक़्त तो उसके साथ नहीं रह सकती ना,लेकिन वो बड़ी लापरवाही से उससे कहता क्यूं आप कहां जा रही हो?आपको पता है ना कि मैं आपके बिना कुछ नहीं कर सकता; उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर वह परेशान हो जाती थी,इस बारे में उसने सुशांत से भी बात की तो उन्होंने भी वही कहा जो अंश कहता था, लेकिन उसे ये सही नहीं लगता था क्योंकि वह चाहती थी कि अब अंश बिना उसके सहारे के अपनी मंजिल की ओर बढ़े,
लेकिन अंश की सोच से वह परेशान रहने लगी।  इसी बीच अंश को गवर्मेंट जॉब मिल गई, इस खबर को सुनकर पवित्रा को ऐसा लगा मानो आज उसके जीवन का लक्ष्य पूरा हो गया हो आखिर अंश अपने पैरों पर जो खड़ा हो गया था, उसे उसकी मेहनत का परिणाम मिल ही गया, पर न जाने क्यों अंश खुश नहीं लग रहा था! वह अंश से पूूछी कि क्या बात है बेटा तुम अपनी सफलता पर खुश नहीं हो? वो बोला कि "मां मैं ये सब आपके बिना कैसे कर पाऊंगा? आखिर यहां तक भी तो तुम खुद अपनी मेहनत से पहुंचे हो ना बेटा,आगे भी तुम सब कर लोगे और फिर मैं भी तो हमेशा तुम्हारे साथ हूं।
आज अंश को कॉलेज में ज्वाइन करने जाना था,लेकिन वो पवित्रा के बिना जाने को तैयार नहीं था और आराम से सो रहा था उसने कई बार उसे समझाया पर वो अपनी ही जिद पर अड़ा रहा और ज्वाइनिंग के लिए नहीं गया।

तीन दिन हो चुके थें लेकिन अंश आज भी ज्वॉइन करने नहीं गया,बस एक ही बात कहता कि "मां मुझे नहीं जाना है मैं घर पर ही ठीक हूं"वह उसे समझा के थक गई लेकिन वो उसकी कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं था, आखिर में थक कर पवित्रा ने अंश की बेहतरी के लिए एक निर्णय लिया और सुशांत को बता कर"वह कुछ दिनों के लिए अपनी मां के यहां चली गई उसने सुशांत से कहा कि वो अंश से कह देंगे कि उसकी मां उससे नाराज होकर गई हूं, शायद वो कुछ दिन पवित्रा के बिना रहे तो समझ जाए कि उसे अब बिना सहारे ही आगे बढ़ना होगा; पवित्रा के इस फैसले में सुशांत ने पूरा साथ दिया ।

वह अंश को पहली बार ऐसे अकेले छोड़कर 'कहीं जा रही थी उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, पर उसने फैसला कर लिया था।


पवित्रा को अंश की बहुत याद आ रही थी,उसने सुशांत को फोन करके अंश के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि"तुम्हारे जाने के बाद से अंश बहुत परेशान था और हर वक़्त सिर्फ तुम्हारे बारे में ही पूछ रहा था।"
जब मैंने उससे कहा कि तुम उससे नाराज होकर गई हो तो वो बहुत उदास हो गया उसने तुम्हें फोन भी किया पर तुमने बात नहीं की, एक दो दिन तो वो बिल्कुल ही चुप था और अपने कमरे से बाहर भी नहीं आया ना ही उसने मुझसे कोई बात की, पर आज सुबह वो थोड़ा रिलैक्स लग रहा था, अभी तो मैं ऑफिस में हूं कहो तो शाम को तुम्हारी बात कराऊं। सुशांत क्या वो अपनी जॉब पर जाने के लिए तैयार है? पता नहीं पवित्रा इस बारे में तो उसने कुछ नहीं कहा और मैंने पूछा भी नहीं; उसे ये बात सुनकर दुःख हुआ कि अंश अभी भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है उस का मन उदास हो गया, तुम इतना क्यों परेशान हो पवित्रा हमारे एक ही तो बेटा है "सब कुछ उसी का तो है अगर वो नौकरी नहीं करना चाहता है तो उसकी मर्जी; लेकिन सुशांत "अंश ने बहुत मेहनत की है यहां तक पहुंचने में", और अब मैं उसे हारते हुए नहीं देखना चाहती बस वो थोड़ी सी कोशिश करेगा तो अपनी मंजिल पर पहुँच जाएगा, मैं बस यही देखना चाहती हूं; कि मेरा बच्चा बिना सहारे आगे बढ़े,वो भी सामान्य बच्चों की तरह अपनी लड़ाई खुद लड़े, और फिर हम हमेशा तो उसके साथ नहीं रहेंगे ना,आप देखिएगा आकाश वो मेरा सपना कभी नहीं तोड़ेगा, उसने सुशांत से अंश का ध्यान रखने को कह कर फोन रख दिया ।

मां के यहां आए हुए उसे आज सात दिन हो गए थें और ये सात दिन उसे सात साल से लग रहे थें ,

एक सुबह सुशांत का फोन आया,सब ठीक है ना सुशांत?इतनी सुबह आपका फोन! हां पवित्रा सब ठीक है बस तुम्हें एक खुशखबरी देनी थी; खुशखबरी कैसी खुशखबरी!,फिर सुशांत ने जो कहा उसे सुनकर वह खुशी से रोने लगी सुशांत ने बताया कि "आज सुबह अंश बिना किसी की मदद के अपनी ज्वाइनिंग के लिए अकेले ही कॉलेज गया है।

वह अंश से दूर जरूर थी पर हर वक़्त अंश के बारे में सोचती रहती, न जाने उसका जॉब का पहला दिन कैसा रहा होगा?वो कैसे हर चीज को अकेले संभाल रहा होगा, उसे परेशानी तो नहीं हो रही होगी?कई बार मन होता कि वापस अपने बेटे के पास चली जाये पर उसकी बेहतरी के लिए वह‌ अपनी भावना को दबा देती।

एक शाम मां ने पवित्रा को चिट्ठी लाकर दी और बोलीं कि "पवित्रा ये अंश की चिठ्ठी है" मैंने तुरंत ही चिट्ठी खोली और अपने अंश की चिट्ठी को पढ़ने लगी...

मां, मैं आपका अंश,कैसी हैं मां आप?,मुझे पता है कि आप मुझसे नाराज़ होकर गई हैं लेकिन मां आपने जाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा कि मैं आपके बिना कैसे रह पाऊंगा? मैं जानता हूं कि आप मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करती हैं और मेरी बेहतरी के लिए ही मुझसे दूर गई हैं, पर आप ही बताइए मां जबसे मैंने होश संभाला हैै हर वक्त सिर्फ आपको ही अपने पास पाया है, मुझे नहीं पता कि सुबह कैसी होती है पर जब आप मेरे बालों को सहलाकर जगाती हैं तब मुझेे सुबह होने का एहसास होता है;आपकी लोरी मुझे रात होने का एहसास कराती है,सिर्फ आपके स्पर्श की कोमलता को ही पहचानता हूं बस आपकी खुशबूू को ही महसूस कर पाता हूं,ठोकर लगने से पहले ही आपने मुझे थामा है मेरे हर आंसू और हर हंसी में आप शामिल रही हैं, फिर आज अचानक ही आप मुझसे नाराज हो मुझे अकेला छोड़ गईं,मुझे पता है मां आप भी मुझसे दूर रहकर खुश नहीं होंगी!अब से मैं आपकी हर बात मानूंगा बस अब आप "लौट आओ मां"। प्लीज़ मां तुम आ जाओ।"
पवित्रा ने जो चाह था वो हो गया था ।आज उसके नेत्रहीन बेटा अपने पांव पर खड़ा था और अपनी मां को बुला रहा था। पवित्रा फटाफट अपना सूटकेस पैक करने लगी।

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5 Comments

Vedshree

04-Dec-2022 07:47 PM

बेहतरीन रचना

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Palak chopra

15-Nov-2022 01:50 PM

Bahut khoob 😊

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Gunjan Kamal

14-Nov-2022 08:02 PM

बेहतरीन

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